Thursday, October 25, 2007

BLUE LINE KA KAHAR

सन 1947 मे मेरा देश यह था और ऐसे थे देश भक्त .......
* एक छंद *
सर पे कफ़न बाँध हाथ मे बंदूक िलये
आजादी की जंग को वो लड़ने चले हैं आज
गोिलयां भी लिठयां खा रहे सीनों पर
फंदे फाँिसयों के चूम िमटने चले हैं आज
धन्य हे वो कोख वीर िजनके ये लाल हूए
गीत वंदे मातरम् पे झूमते चले हैं आज
मन मे उमंग िलये क्रोध की तरंग िलये
मात भारती की रक्षा करने चले हैं आज

आज २००७ मे मेरा देश क्या है...........
* दूसरा छंद *

देशभक्त रक्षा कर देश की शहीद हुए
जय्चंदो के हाथों मे ये देश सोंप िदया हैं
भर्ष्टाचार,घोटालों का था जो सरताज कल
कर विश्वास क्यूं ये काम छोड़ िदया है
नेता चाहे बने कोई योग्यता नही है कोई
रखवाली दूध की कुत्तो को छोड़ िदया है
ऐसे देश को तो भगवान ही बचायेंगे जब
भेडियों मे मांस बहुमत का फेंक िदया है

Tuesday, October 9, 2007



नमस्ते जी मॆं अपको एक गीत भेज रहा हूँ मुझे आशा हे अपको बेहद पसंद आएगा ................

दर्द का ऐहसास
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बहती जल की धारा, कोई रोक नही पाया
क्या जाने वो दर्द कीसी का, जो चोट नही खाया

वीशवास की आंधी मॆं, धोखा तो नही खाया
क्या जाने वो ...........

उतरी नदीया पर्वत से, लोगो बुझाने प्यास
न देना दर्द कीसी को, न रहना खुद उदास

सागर की गहराई, कोई खोज नही पाया
क्या जाने वो ..............

सादर
अिमत सागर